रोड एक्सीडेंट (Road Accident) में घायलों को मुफ्त इलाज: हरियाणा-पंजाब समेत 6 राज्यों में सफल पायलट प्रोजेक्ट
सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को मुफ्त इलाज की सुविधा अब पूरे देश में उपलब्ध होगी। मार्च 2025 से शुरू होने वाली इस योजना के तहत, सरकार प्रत्येक घायल व्यक्ति के इलाज पर ₹1.5 लाख तक का खर्च उठाएगी। यह सुविधा न केवल सरकारी बल्कि प्राइवेट अस्पतालों में भी अनिवार्य रूप से लागू होगी। इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा।
योजना का मुख्य उद्देश्य
सड़क दुर्घटनाओं के बाद घायलों को तुरंत इलाज मिल सके, इसके लिए यह योजना शुरू की गई है। दुर्घटना के बाद के पहले घंटे को ‘गोल्डन ऑवर’ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान इलाज मिलने से जान बचाई जा सकती है। भारत में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं, जिनमें से 30-40% लोग समय पर इलाज न मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं। इस योजना का उद्देश्य इन मौतों को कम करना है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
- कैशलेस इलाज: घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए किसी भी प्रकार की फीस जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- ₹1.5 लाख तक का खर्च: सरकार प्रत्येक घायल व्यक्ति के इलाज पर ₹1.5 लाख तक का खर्च उठाएगी।
- 7 दिनों तक मुफ्त इलाज: घायल व्यक्ति को 7 दिनों तक अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी।
- प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में लागू: यह योजना दोनों प्रकार के अस्पतालों में अनिवार्य रूप से लागू होगी।
योजना का क्रियान्वयन
इस योजना को लागू करने के लिए मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में संशोधन किया गया है। योजना को पूरी तरह से लागू करने से पहले, पुड्डूचेरी, असम, हरियाणा, पंजाब सहित 6 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया, जो सफल रहा।
NHAI की भूमिका
NHAI इस योजना के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा। घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने के बाद, उसका इलाज तुरंत शुरू हो जाएगा। इलाज के बाद, अस्पताल को ₹1.5 लाख तक का भुगतान NHAI द्वारा किया जाएगा।
कैशलेस ट्रीटमेंट योजना की घोषणा
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 14 मार्च 2024 को इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके बाद, 7 जनवरी 2025 को उन्होंने इसे पूरे देश में लागू करने की घोषणा की।
योजना के लाभ
- समय पर इलाज: घायलों को तुरंत इलाज मिलने से जान बचाई जा सकेगी।
- वित्तीय बोझ में कमी: घायल व्यक्ति या उसके परिजनों को इलाज के लिए भारी रकम खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच: प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में समान रूप से इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी।
योजना की चुनौतियाँ
हालांकि यह योजना घायलों के लिए एक बड़ी राहत है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- अस्पतालों पर बोझ: योजना के लागू होने के बाद, अस्पतालों पर मरीजों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।
- भुगतान में देरी: अस्पतालों को NHAI द्वारा भुगतान में देरी होने की संभावना है।
- ₹1.5 लाख की सीमा: गंभीर मामलों में इलाज का खर्च ₹1.5 लाख से अधिक हो सकता है, जिसे मरीज या परिजनों को स्वयं वहन करना होगा।
भविष्य की योजनाएं
सरकार इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ₹1.5 लाख की सीमा को बढ़ाकर ₹2 लाख करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा, योजना को और अधिक राज्यों में लागू करने की योजना है।
सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को मुफ्त इलाज की योजना एक सराहनीय कदम है। इससे न केवल जान बचाई जा सकेगी, बल्कि घायलों के परिजनों पर वित्तीय बोझ भी कम होगा। हालांकि, योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सरकार को अस्पतालों और NHAI के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. योजना कब से लागू होगी?
यह योजना मार्च 2025 से लागू होगी।
2. क्या प्राइवेट अस्पतालों में भी यह सुविधा उपलब्ध होगी?
हां, यह सुविधा प्राइवेट और सरकारी दोनों प्रकार के अस्पतालों में उपलब्ध होगी।
3. यदि इलाज का खर्च ₹1.5 लाख से अधिक हो तो क्या होगा?
₹1.5 लाख से अधिक के खर्च को मरीज या उसके परिजनों को स्वयं वहन करना होगा।
4. NHAI की भूमिका क्या है?
NHAI इस योजना के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा और अस्पतालों को भुगतान करेगा।
5. क्या यह योजना पूरे देश में लागू होगी?
हां, यह योजना पूरे देश में लागू की जाएगी।
इस योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
यह लेख सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को मुफ्त इलाज की योजना के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो कृपया टिप्पणी करें।